श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि। सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा । व्याख्या – जो मन से सोचते हैं वही वाणी से बोलते हैं तथा वही कर्म करते हैं ऐसे महात्मागण को हनुमान जी संकट से छुड़ाते हैं। जो मन में कुछ सोचते https://napoleonf318dio3.prublogger.com/profile