जब कुछ नहीं रहा पास तो रख ली तन्हाई संभाल कर मैंने, तन्हाई की रातों में, दर्द की गहराइयों में खो जाता हूँ, अगर तू देख ले तो कभी तन्हा न छोड़े मुझे। वो महफ़िल में तन्हा-तन्हा चिल्ला रहे थे। राहत इंदौरी की ग़ज़लें आपको उर्दू साहित्य के सौंदर्य से https://youtu.be/Lug0ffByUck